Recent News

Copyright © 2024 Blaze themes. All Right Reserved.

भारत बिना नए कोयला संयंत्र के 2032 तक बिजली की मांग पूरी कर सकता है, रिपोर्ट में दावा

indiannewsportal.com

Share It:

Table of Content


नई दिल्ली। भारत (India) आने वाले सात वर्षों में अपनी बढ़ती बिजली (Electricity) की मांग को पूरा करने के लिए किसी नए कोयला संयंत्र (Coal Plants) की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक नई वैश्विक रिपोर्ट (Global Report) में कहा गया है कि देश 2032 तक की बिजली जरूरतों को पहले से तय सौर, पवन और ऊर्जा भंडारण लक्ष्यों के जरिए पूरा कर सकता है। यह निष्कर्ष भारत की ऊर्जा नीति में बड़े बदलाव का संकेत देता है।

ऊर्जा थिंक टैंक एंबर की मंगलवार को जारी रिपोर्ट ‘कोल डिमिनिशिंग रोल इन इंडिया इलेक्ट्रीसिटी ट्राजिशन’ के मुताबिक, नए कोयला संयंत्रों में निवेश न सिर्फ अनावश्यक बल्कि आर्थिक रूप से नुकसानदेह साबित होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि मौजूदा निर्माणाधीन कोयला संयंत्रों के अलावा और संयंत्र बनाए गए तो यह बिजली वितरण कंपनियों और उपभोक्ताओं पर महंगा बोझ डाल सकता है, क्योंकि अक्षय ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज तकनीक अब पहले से कहीं सस्ती और भरोसेमंद हो गई है।

एंबर के मॉडलिंग डेटा के अनुसार, यदि भारत नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान 2032 के तहत तय सौर, पवन और स्टोरेज लक्ष्यों को पूरा कर लेता है, तो 2031-32 तक लगभग 10 फीसदी अतिरिक्त कोयला संयंत्र पूरी तरह बेकार पड़े रहेंगे, जबकि 25 फीसदी से अधिक संयंत्र बहुत कम क्षमता पर चलेंगे। रिपोर्ट बताती है कि भारत के कोयला संयंत्रों की औसत प्लांट लोड फैक्टर 2024-25 में 69 प्रतिशत से घटकर 2031-32 तक सिर्फ 55 प्रतिशत रह जाएगी। इसका मतलब यह होगा कि कई संयंत्र लंबे समय तक बंद रहेंगे या बेहद कम क्षमता पर चलेंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा, कोयला बिजली का मुख्य स्रोत न रहकर सिर्फ बैकअप विकल्प बन जाएगा। इससे कोयला बिजली की लागत और बढ़ जाएगी। एम्बर का अनुमान है कि वर्तमान में कोयला बिजली की दर लगभग ₹छह प्रति यूनिट है, जो 2031-32 तक बढ़कर ₹7.25 प्रति यूनिट तक पहुंच सकती है।

बिहार और मध्य प्रदेश जैसे कोयला उत्पादक राज्यों में भी नए कोयला संयंत्रों की बिजली दरें ₹5.85 से ₹छह प्रति यूनिट तक पहुंच गई हैं। इसकी तुलना में सौर और पवन आधारित फर्म डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी की दरें ₹4.3 से ₹5.8 प्रति यूनिट तक हैं, जबकि सोलर-प्लस-स्टोरेज प्रोजेक्ट ₹2.9 से ₹3.6 प्रति यूनिट तक में बिजली उपलब्ध करा रहे हैं।

एंबर के मुख्य विश्लेषक डेव जोन्स ने कहा कि भारत सौर निर्माण की तरह ही बैटरी उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बन सकता है और 24 घंटे, 365 दिन बिजली उपलब्ध कराने वाला देश बन सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अब बैटरी तकनीक तेजी से विकसित हो रही है, जिसकी आयु दशकों तक बढ़ गई है, और नई सोडियम-आयन तकनीक के कारण अब दुर्लभ खनिजों की जरूरत भी कम हो गई है।

रिपोर्ट के सह-लेखक दत्तात्रेय दास ने कहा कि भारत को पिछली गलतियों से सबक लेते हुए अनावश्यक कोयला संयंत्रों के निर्माण से बचना चाहिए। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि देश को अब ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़ाने, पुराने तापीय संयंत्रों को लचीला बनाने और बिजली वितरण प्रणाली को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभकारी साबित होगा।

Tags :

Grid News

Latest Post

Find Us on Youtube

is not relation with any media house or any media company tv channel its independent website provide latest news and review content.

Latest News

Most Popular