चेन्नई। केरल सरकार (Kerala Government ) के कृषि मंत्री पी.प्रसाद (Agriculture Minister P. Prasad) ने जंगली सुअर (Wild Boar) का मांस खाने की अनुमति दी जाने की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो इन जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है वह बहुत कम हो जाएगा, इसके बाद फिर इनसे और भी बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है। प्रसाद ने कहा कि जंगली सुअर कोई लुप्तप्राय जाति नहीं है इसलिए इसका मांस खाने की अनुमति देने में कोई बाधा नहीं है।
प्रसाद ने अलप्पुझा जिले की पालामेल ग्राम पंचायत द्वारा एक कार्यक्रम में स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि ऐसा हो लेकिन केंद्रीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता है। उन्होंने दावा किया, “मेरी राय में, लोगों को खेतों में मारे गए जंगली सूअरों का मांस खाने की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर लोगों को जंगली सूअरों को मारने और उनका मांस खाने की अनुमति दी जाए, तो इस मुद्दे का समाधान बहुत तेजी से हो सकता है। लेकिन मौजूदा कानून इसकी अनुमति नहीं देता है।”
गौरतलब है कि प्रसाद की यह टिप्पणी केरल विधानसभा द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है। इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में मानव-पशु संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को कम करना है।
आपको बता दें भारत में जंगली सुअर को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तरह सूची तीन में रखा गया है। इसका मतलब है कि यह एक प्रोटेक्टेड स्पीसीज है। इस वजह से इसका बिना अनुमति शिकार करना, मारना या उसका मांस रखना अवैध है। ऐसा करने पर तीन साल तक की जेल, 25 हजार का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। हालांकि यह मामला सभी जगह एक जैसा नहीं है। कई राज्यों, जैसे की केरल, बिहार, उत्तराखंड ने इसे हानिकारक जीव की श्रेणी में रखा है। इन राज्यों के स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की अनुमति के साथ इसे मारना कानूनी है। हालांकि इसके बाद भी इसका मांस बेचना या रखना कानूनी नहीं होता। जंगली सुअर को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और कानूनी डर फैला रहता है। इसलिए भी लोग इसका मांस खाने से बचते नजर आते हैं।