नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला के पास 10 नवंबर 2025 को हुए कार बम विस्फोट की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जैश-ए-मोहम्मद के इस आतंकी मॉड्यूल के भीतर विचारधारा, हमले की रणनीति और धन के उपयोग को लेकर गहरी फूट थी। आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी और बाकी सदस्यों के बीच मतभेद इतने गहरे थे कि उमर ने अक्टूबर में अपने साथी अदील राथर की शादी में भी शामिल होने से इनकार कर दिया था।जांच एजेंसियों के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी मुजम्मिल गनई, अदील राथर और मुफ्ती इरफान वागे अल-कायदा की विचारधारा से प्रभावित थे, जो पश्चिमी देशों और दूर के दुश्मनों पर हमले को प्राथमिकता देती है। वहीं डॉ. उमर उन नबी आईएसआईएस की कट्टर विचारधारा की ओर झुके हुए थे। उनका मानना था कि पहले करीबी दुश्मन (भारत) को निशाना बनाना चाहिए और खिलाफत स्थापित करना ही सर्वोच्च लक्ष्य है।
उमर खुद को कश्मीर के कुख्यात आतंकियों बुरहान वानी और जाकिर मूसा की विरासत का उत्तराधिकारी मानता था। यही वैचारिक टकराव मॉड्यूल की एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया था। समूह के अधिकांश सदस्य (वागे को छोड़कर) पहले अफगानिस्तान जाकर प्रशिक्षण लेना चाहते थे, लेकिन असफल रहे। इसके बाद उन्होंने भारत में ही बड़ा हमला करने का फैसला किया। डॉ. उमर 2023 से ही इंटरनेट पर आईईडी बनाने की तकनीक पर गहन रिसर्च कर रहा था और फरीदाबाद में किराए के मकान में रसायनों के साथ प्रयोग करता था। मॉड्यूल को मिले फंड को लेकर भी तीखी नोंक-झोंक थी। उमर पर धन के दुरुपयोग का आरोप था। जांच में पता चला है कि मुख्य वित्तीय सहायता अल फलाह विश्वविद्यालय की छात्रा शाहीन शाहिद अंसारी ने की थी, जो मुजम्मिल गनई की सहपाठी थी। शाहीन ने कथित तौर पर संगठित क्राउडफंडिंग से करीब 20 लाख रुपये जुटाए थे। वह जैश की महिला भर्ती शाखा ‘जमात-उल-मोमिनात’से जुड़ी थी और फरीदाबाद ऑपरेशन के लिए धन व संसाधन जुटाने में अहम भूमिका निभा रही थी।
अक्टूबर में मुफ्ती इरफान वागे की गिरफ्तारी के बाद उमर ने 18 अक्टूबर को कश्मीर के काजीगुंड में बाकी सदस्यों से मुलाकात की। इस बैठक में उसने अपने साथियों को अपनी आईएसआईएस-प्रेरित रणनीति पर सहमत करने की कोशिश की और कथित तौर पर सफल भी रहा। ठीक तीन सप्ताह बाद दिल्ली में विस्फोट हो गया।वागे की गिरफ्तारी से पुलिस को पूरे मॉड्यूल तक पहुंच मिली। फरीदाबाद से 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद हुई, जिसमें उच्च क्षमता वाले विस्फोटक, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, रिमोट कंट्रोल और प्रज्वलन उपकरण शामिल थे। उमर और गनई दोनों के पास उस कमरे की चाबियां थीं जहां यह सामग्री छिपाई गई थी। यह मामला दर्शाता है कि आतंकी संगठन कितने भी संगठित दिखें, उनके अंदर वैचारिक और व्यक्तिगत मतभेद उन्हें कमजोर करते हैं। फिर भी, ये मतभेद आम नागरिकों की जान लेने से उन्हें नहीं रोक पाते।




